गुरुवार, 26 जुलाई 2012

नाराजगी



 नाराजगी 

तुम्हारी बातें अब मुझको छूती नहीं हैं,
कुछ भी कहो मुझको कुछ होती नहीं है,

तुम मेरे जान,जिगर और साँस थे,
मेरे लिए अब तुम बस एक आस हो.
जब मेरे जीवन में तुम आये,
आते ही मेरे मानस पर तुम छाए.
मैंने अपने सारे फर्ज निभाए,
हमारे रिश्ते को खा गयीं सर्द हवाएं .

तुम्हारी बातें अब मुझको छूती नहीं हैं,
कुछ भी कहो मुझको कुछ होती नहीं है,
कैसे जीवन का पहिया है चलता,
प्राथमिकतायें जीवन का सदा है बदलता.
जहाँ मैं थी वहाँ कोई और है,
जीवन का एक नया दौर है.

तुम्हारी बातें अब मुझको छूती नहीं हैं,
कुछ भी कहो मुझको कुछ होती नहीं है,
मेरी कमी अब तुम को खलती नहीं है,
बेरुखी तुम्हारी अब रूलाती नहीं है.
रूखे से रुखा है व्यवहार तुम्हारा,
लगता नही की तुम थे कलेजा हमारा.
कभी तुम थे मेरे पलकों पर पलते,
रिश्ता अब हमारा हैं पलकें भिगोतें .


तुम्हारी बातें अब मुझको छूती नहीं हैं,
कुछ भी कहो मुझको कुछ होती नहीं है,

बातें न बद जाए सो सहती हूँ तुम को,
नाता न टूटे सो कुछ कहती नहीं तुमको.
तुम आओ न आओ तुम्हारी है मर्जी,
पता नहीं मैंने क्या गलती करदी.
अगर मैं हूँ एक भूली बिसरी याद,
तो मुझको भी नहीं करनी तुम्हारी बात.

तुम्हारी बातें अब मुझको छूती नहीं हैं,
कुछ भी कहो मुझको कुछ होती नहीं है,