यादों का हरश्रींगार झड़े
यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़.....
उम्र गुजरती जाये,मन पीछे गोता
खाये।
आंखो के आगे बचपन लौट लौट सी आए।
नानी का घर सपन खिलौने अपने लगते
दादा दादी मामा मामी याद आ गए सारे रिश्ते
रिश्ते-नाते गर्मी छुट्टी आम बगीचा
कूद-फांद और धमा चौकड़ी सारे बच्चे
यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
गुड्डे गुड़िया खेल खिलौने पदना लिखना
संग सहेली गाने गाना हँसना रोना
चुगली-शुगली शोर मचाना हल्ला गुल्ला
लड़ना झगड़ना रूठा रूठी हाथ मिलाना।
यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
चाचा जी की चिट्ठी आयी,डाक्टर बन कर नाम
कमाओ
इस महान पेशा को अपनाना है
बस डाक्टर ही तुम को बनना है।
अब तो केवल बहुत पढ़ाई ,खूब पढ़ाई
कुछ बनना है काम तो मुझको करना है।
. यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
कंधे मेरे दुखते हैं,बोझ है तू, उतर भी जा.. ।
माँ मुझको पढ़ने दो न,थोड़ा सा कुछ बनने
दो न।
शादी करके पढ़ती रहना,काम तू अपनी करती
रहना।
शादी करले मैं पढ़ाऊँगी,मेरा तुझसे पक्का
वादा।
यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
वादा टूटा वादा झूठा, मेरा खुद का सपना
टूटा।
घर गृहस्थी नून तेल लकड़ी,पिसती रह गयी ,
वक़्त है गुजरा,समय है बदला,बुड्डी हो गयी
टूटे सपने जोड़ न पायी,आगे मै फिर पढ़ न
पायी।
यादों का हरश्रींगार झड़े
झड़-झड़....। .
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