शुक्रवार, 26 जून 2015

हठ योगिनी

किसी साधना रत सन्यासी की ही भांति वह अपनी लक्ष्य हेतु अनवरत तपस्यारत रहती .सन्यासी तो सघन वन या हिमालय पर जातें होंगे ,पर वह नन्ही जान इस संसार में सांसारिक सुखों के बीच रहते हुए साधना रत रहती .कोशिश करती सारा आसमान पाने की पर मिलता एक टुकड़ा .उस एक स्वप्न को प्राप्त करने हेतु उसने अपनी नींद ही, त्याग दी थी .जानती थी जगती आँखों का स्वप्न ,पलकों के मूंदने से ना प्राप्त होगा . एक हठयोगिनी की ही तरह अपनी इन्द्रियों को काबू कर मेहनत करती रहती .पर परिणाम आता तो सारी मेहनत पानी बना इधर-उधर बहता दीखता .रात भर रोती,अपने वजूद की किरचे बीनती .अगले दिन से फिर से अपनी जूनून की सवारी कर लेती.

  आख़िरकार सफलता मिलनी ही थी ,सो मिली .मन हल्का हो उड़ चला .पथरीली राहों की यात्रा समाप्त हुई ,अब तो बस आसमान अपनी मुठ्ठी में .बिन पंखो के सफलता के रथ पर सवार उड़ चली दुनिया मुठ्ठी में भरने . 


मंगलवार, 23 जून 2015

अकबर और बीरबल

अकबर और बीरबल वर्तमान युग में अवतीर्ण होकर आश्चर्य चकित हैं .ऐसी परिस्थिति में उनके बीच हुए संवाद को १० पंक्तियों में लिखिए .
बीते वक़्त के दो महारथी अकबर और बीरबल ,अचानक खुद को दिल्ली की भीड़ में पातें हैं .बीरबल सदा से कुशल वाकपटु अधीनस्थ अधिकारी थें.
अकबर : बीरबल ,विश्वास ही नहीं हो रहा कि ये वही दिल्ली है,कितनी भीड़ भाड़ है .इसके सन्नाटे से          घबरा कभी मैंने राजधानी आगरा किया था .
बीरबल : महाराज ,आपने बिलकुल ठीक किया था .ये जगह राजधानी बनने लायक हरगिज नहीं है .
अकबर : पता नहीं मेरे स्वर्गवासी होने के बाद मेरे वंशजो ने क्या किया इस शहर के लिए ?
बीरबल : जहाँपनाह ,वह देखिये लाल पत्थरों का किला और उसके सामने अवस्थित जामा –मस्जिद ,आपके पोते शाहजहाँ ने बनवाया था .
अकबर (थोडा रुआंसा होते हुए ): इसका मतलब है मुझे तो लोग याद भी नहीं करते होंगे .
बीरबल: नहीं जहाँपनाह ,उधर चलिए दिल्ली शहर के बीचों-बीच आपके नाम की सड़क मौजूद है .
अकबर :पर जनमानस इन सहस्त्र वर्षों में मुझे भूल ही चुके होंगे .
बीरबल : नहीं जहाँपनाह ,आधुनिक युग के एक महान आविष्कार टेलीविजन पर आप और महारानी जोधा की रोज कहानियाँ दिखाई जाती हैं .
बहुत देर से पीछा कर रहे, सूट-बूट में सजे दो युवक अचानक बीरबल के चरणों में गिरे मिलतें हैं .
हाथ जोड़ बोलते हैं :मिस्टर बीरबल  ,आपको एक करोड़ का पैकेज दिया जायेगा अगर आप बॉस को डील करने की कला हमारे मैनेजमेंट के छात्रों को पढ़ायें .
बीरबल ने बिना एक क्षण गवाएं अकबर को टाइम मशीन में बिठाया और वापस मुग़ल काल में भेज दिया और खुद चल पड़ा उनके साथ अपना भविष्य बनाने .    






गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

एक मज़ेदार तथ्य - चार युग

एक मज़ेदार तथ्य 
हम जानतें हैं कि हिन्दू धर्म में चार युग मानें जाते हैं 
सतयुग,त्रेतायुग ,द्वापर युग और कलयुग। हर युग में सत्य और असत्य व् धर्म और अधर्म में युद्ध हुआ। 
सतयुग में देवताओं और असुरों में जो दो विभिन्न लोक में निवास करतें थें। 
त्रेता युग में राम और रावण में जो धरतीं में ही दो विभिन्न देश के निवासी थे। 
द्वापर युग में पांडवों और कौरवों में ,जो एक ही कुल के थे।
 क्या आपने ध्यान दिया कि दुष्ट ,अधर्म ,असत्य ( ) धीरे धीरे सत्य और अच्छाई के  नजदीक आते जा रहें हैं। दो लोक से दो देश ,दो देश से एक परिवार में 
अब कलयुग में ये युद्ध कहाँ होगा ?
हमारे भीतर - जी हाँ ,अच्छाई और बुराई दोनों ही हमारे भीतर ही वास करतें हैं। ये अब हम पर ही है कि हम अपने भीतर सत्य और असत्य, सही और गलत ,अच्छाई और बुराई में में किसे विजयी बनातें हैं।