एक मज़ेदार तथ्य
हम जानतें हैं कि हिन्दू धर्म में चार युग मानें जाते हैं
सतयुग,त्रेतायुग ,द्वापर युग और कलयुग। हर युग में सत्य और असत्य व् धर्म और अधर्म में युद्ध हुआ।
सतयुग में देवताओं और असुरों में जो दो विभिन्न लोक में निवास करतें थें।
त्रेता युग में राम और रावण में जो धरतीं में ही दो विभिन्न देश के निवासी थे।
द्वापर युग में पांडवों और कौरवों में ,जो एक ही कुल के थे।
क्या आपने ध्यान दिया कि दुष्ट ,अधर्म ,असत्य ( ) धीरे धीरे सत्य और अच्छाई के नजदीक आते जा रहें हैं। दो लोक से दो देश ,दो देश से एक परिवार में
अब कलयुग में ये युद्ध कहाँ होगा ?
हमारे भीतर - जी हाँ ,अच्छाई और बुराई दोनों ही हमारे भीतर ही वास करतें हैं। ये अब हम पर ही है कि हम अपने भीतर सत्य और असत्य, सही और गलत ,अच्छाई और बुराई में में किसे विजयी बनातें हैं।
हम जानतें हैं कि हिन्दू धर्म में चार युग मानें जाते हैं
सतयुग,त्रेतायुग ,द्वापर युग और कलयुग। हर युग में सत्य और असत्य व् धर्म और अधर्म में युद्ध हुआ।
सतयुग में देवताओं और असुरों में जो दो विभिन्न लोक में निवास करतें थें।
त्रेता युग में राम और रावण में जो धरतीं में ही दो विभिन्न देश के निवासी थे।
द्वापर युग में पांडवों और कौरवों में ,जो एक ही कुल के थे।
क्या आपने ध्यान दिया कि दुष्ट ,अधर्म ,असत्य ( ) धीरे धीरे सत्य और अच्छाई के नजदीक आते जा रहें हैं। दो लोक से दो देश ,दो देश से एक परिवार में
अब कलयुग में ये युद्ध कहाँ होगा ?
हमारे भीतर - जी हाँ ,अच्छाई और बुराई दोनों ही हमारे भीतर ही वास करतें हैं। ये अब हम पर ही है कि हम अपने भीतर सत्य और असत्य, सही और गलत ,अच्छाई और बुराई में में किसे विजयी बनातें हैं।
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