प्रेरणादायक कविताये
जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फ़िर धार क्या मझधार क्या ??
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वह प्रदीप जो दिख रहा है
झिलमिल दूर नही है
थक कर बैठ गए क्यों भाई
मंजिल दूर नही है .
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जो बीत गई सो बात गई
माना वह बेहद प्यारा था
जो डूब गया सो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
क्या अनगिन टूटे तारो पर
कब अम्बर शोक मनाता है
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खोता कुछ भी नही यहा पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतर चांदनी
पहने सुबह धुप की धोती .
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यह अरण्य झुरमुट जो काटे, अपनी राह बना ले
कृतदास यह नही किसी का जो चाहे अपना ले
जीवन उनका नही उधिस्थिर जो उससे डरते हैं
ओ उनका जो चरण रोप निर्भय होकर लड़ते हैं .
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सूरज हूँ जिंदगी की रमक छोड़ जाऊंगा
मैं डूब भी गया तो सबक छोड़ जाऊंगा
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कोिशश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
->By Harivansh Rai Bachchan
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सब कहते हैं कि तुम्हे क्या कमी है
कैसे समझाए कि वक़्त कटता नहीं
अकेलापन अपने आप में एक कमी है
जिंदगी में और कमी कुछ ख़ास नहीं
एक साधू सुबह नदी में अंजुरी से जल अर्पण कर रहा कि तभी एक चुहिया चील के पंजो से छूट उसके हाथ में आ गिरी। साधू सिद्ध थे उन्होंने उसे एक लड़की बना कर बहुत अच्छी लालन पालन किया। बड़ी हुई तो उस गुणवंती लड़की की शादी हेतु वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ को खोजने लगे। इसी क्रम में सूरज के पास गए जिसने कहा मुझसे ताकतवर बादल है जो मुझे ढक देता है ,बादल ने कहा पहाड़। जब वे बेटी को पहाड़ के ले गएँ तो उसने बोला कि मैं चूहे के समक्ष बेबस हूँ वो मुझमे गढ्ढे कर देता है। अतः निष्कर्ष निकला की चूहा सबसे ताकतवर है। साधू ने लड़की को फिर से चुहिया बना उसका ब्याह चूहे से कर दिया।
मोरल -यही है आप नियति को नहीं बदल सकतें हैं।
बुलंदी की उडान पर हो तो... जरा सबर रखो,
परिंदे बताते हैं कि... आसमान में ठिकाने नही होते....
नज़र रखो अपने 'विचार' पर,
क्योंकि वे ''शब्द'' बनते हैँ।
क्योंकि वे ''शब्द'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'शब्द' पर,
क्योंकि वे ''कार्य'' बनते हैँ।
क्योंकि वे ''कार्य'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'कार्य' पर,
क्योंकि वे ''स्वभाव'' बनते हैँ।
क्योंकि वे ''स्वभाव'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'स्वभाव' पर,
क्योंकि वे ''आदत'' बनते हैँ।
क्योंकि वे ''आदत'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'आदत' पर,
क्योंकि वे ''चरित्र'' बनते हैँ।
क्योंकि वे ''चरित्र'' बनते हैँ।
नज़र रखो अपने 'चरित्र' पर,
क्योंकि उससे ''जीवन आदर्श'' बनते हैँ।
क्योंकि उससे ''जीवन आदर्श'' बनते हैँ।