सोमवार, 25 अगस्त 2014

चींटा और टिड्डे की कथा -नए रूप में

टिड्डे और चींटा की कहानी - मूल कथा
चींटा गर्मियों में आराम करने की जगह दिन भर काम करता है ताकि आने वाले सर्दियों में वह सुरक्षित रहे। वह पसीना बहा बहा घर बनाता है और खाने के ढेर सामान इकठ्ठे करता है। वहीँ टिड्डा गर्मियों के मज़े लेता है ,दिन भर आराम करता है और सोता रहता है। सर्दी आती है तो चींटा अब मज़े से अपने घर में सुरक्षित आराम से रहता /खाता है। चूँकि टिड्डे ने गर्मी में कुछ भी नहीं सोचा था सो वह सर्दी में ठण्ड और भूख से मर जाता है।
इस कथा का अब भारतीयकरण
चींटा गर्मियों में आराम करने की जगह दिन भर काम करता है ताकि आने वाले सर्दियों में वह सुरक्षित रहे। वह पसीना बहा बहा घर बनाता है और खाने के ढेर सामान इकठ्ठे करता है। वहीँ टिड्डा गर्मियों के मज़े लेता है ,दिन भर आराम करता है और सोता रहता है। सर्दी आती है तो चींटा अब मज़े अपने घर में सुरक्षित आराम से रहता /खाता है। जैसे ही सर्दी शुरू होती है टिड्डा शोर मचाने लगता है सामाजिक असमानता की दुहाई देने लगता है। वह सवाल उठाने लगता है की चींटा को क्या अधिकार है की वह घर में मज़े से रहे और वह ठण्ड से कांपे।
विभिन्न समाचार चैनल वीडीओ चलाने लगतें हैं कि चींटा अपने घर में बैठा है और टिड्डा बाहर कांप रहा है सड़क पर। पूरी दुनिया सन्न होने लगती है इस विषमता पर।
अउरुंधती रॉय ने चींटा के घर के समक्ष एक धरना भी कर डाला।
मेघा पाटेकर कुछ दुसरे टिड्डों को भी ले कर भूख हड़ताल पर बैठ जाती हैं।
मायावती ने इसे सामाजिक असमानता और अल्पसंख्यको पर अत्याचार बता डाला
एमनेस्टी इंटरनेशनल और कोफ्फी अन्नान टिड्डी के मौलिक अधिकार को कायम रखने नहीं के लिए भारत सरकार की आलोचना करते हैं।
विपक्षी सांसदों ने संसद का बहिष्कार किया और वाकआउट कर गए
वाम दलों ने बंगाल बंद करा दिया
सीपीएम ने केरल में चींटियों को गर्मियों में काम करने पर पाबंदी ही लगा दी ताकि गरीबी का स्तर बराबर रहे।
रेल मंत्रालय ने टिड्डा रथ नामक स्पेशल ट्रैन चलने की घोषणा की और टिड्डों के लिए स्पेशल पास की भी।
मानव संसाधन मंत्रालय ने शिक्षण संस्थानों में टिड्डों के लिए आरक्षण की घोषणा कर दी।
न्यायिक समिति ने 'Prevention of Terrorism Against Grasshoppers Act'[POTAGA] लागू कर दी।
चींटा पर POTAGA उलंघन का दोष लगता है और उसे टैक्स चोरी के कई आरोप भी लग जाते हैं। एक समारोह कर चींटी का घर टिड्डे को दे दिया जाता है जिसे सारे न्यूज़ चैनल वाले कवर करते हैं।
अरुंधति रॉय ने इसे न्याय की जीत बताया
सीपीएम ने इसे दलित की क्रांतिकारी पुनुरुत्थान बताया।
कोफ़ी अन्नान ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में टिड्डे को भाषण देने को आमंत्रित किया।
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……………
बहुत साल बाद
.......चींटा अमेरिका चला गया और सिलिकॉन वैली में करोडो डॉलर्स की कंपनी सेटअप कर ली।
आरक्षण और सुविधाओं के बावजूद अभी भी सैकड़ों टिड्डे सर्दियों मर ही जातें हैं।
और। .......
वहीँ मेहनतकश और दूरदर्शी चींटियों के पलायन और टिड्डों को खिलाते रहने के कारण देश अभी भी विकासशील ही बना हुआ है!!!!!




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