जी हाँ अभी पिछले हफ्ते मैं इसी माहौल में ५-६ दिनों तक रही. पिछले हफ्ते मैं अपने पति देव के साथ अंदमान गयी थी। हम एक कंडक्टेड टूर पर थे,जिसमे कुछ लोगो का ग्रुप बना हुआ था। हम जिस ग्रुप में थे उसमे नवविवाहित जोड़े ही अधिकतर थे। शादी का लग्न मुहूर्त बस समाप्त ही हुआ था ,सब ३-४ दिन पुराने दंपत्ति थे। हम जैसे दो चार लोग ही थे जो २५-२६ साल पुराने जोड़े थे। अंदमान के बेहद ख़ूबसूरत समुद्री किनारे इन बच्चों के चहचहाट से और दिलकश हो उठे थे। भारत के अलग अलग प्रांतों से आयीं ये नयी नवेली दुल्हनों कि हथेलियाँ चटक मेहँदी से सुर्ख थी ,कलाइयां लाल चूड़ो से भरी हुईं ,किसी के गले में मंगल सूत्र ,तो किसी कि मांग नारंगी रंग के सिन्दूर से भरीं हुई पर सभी बिलकुल आधुनिक और छोटे कपड़ों में। एक अलग दिलकश नजारा था। पहले दिन तो कुछ बच्चियां बिलकुल हाई पेंसिल हील में निकली ,पर दो के उस दिन पैर मुड़ गएँ और मोच आ गयी। अलग अलग नए जोड़े ,हर जोड़ा दूसरे से अलग। मैं कनखियों से उन्हें भांप रही थी। ……मज़े लेती थी।
बेजोड़ जोड़ा -बिलकुल एक दुसरे के लिए मानों बने हों ,बेशर्म जोड़ा -सबके सामने बेशर्मी से लिपटे हुए ,शर्मीला जोड़ा,समझदार जोड़ा ,लम्बे जोड़े या फिर झगड़ालू जोड़े -जो आपस में झगड़ते रहते। एक जोड़ा था जो पहले दिन दूर बैठा बिना सटे पूरब पश्चिम देखता हुआ -अनजान जोड़ा ,पर पांचवे दिन हाथ में हाथ डाले मुस्कुराते हुए देख रही थी ( यानि पहले दिन" अजनबी कौन हो तुम " से हम बने तुम बने एक दूजे के लिए " का सफ़र तय हो चुका था ). इसी तरह हम अनुमान लगते कि इनका प्रेम विवाह है या अर्रेंज।
सभी जीवन कि राह में एक नया रंग भरते हुए अपनी वैवाहिक जीवन क़ी शुरुआत कर रहें थे। एक अच्छा अनुभव रहा।