हमारे आस-पास इतना कुछ घटित होता है,कुछ बातें रोजमर्रा की होती हैं जिनपर कोई ध्यान नही जाता है.पर कभी कभी कुछ ऐसा होता है, जो मन को झकझोर देतीं हैं .दिल मजबूर कर देता है कलम उठाने को.कभी दिल में भावनाओं का ज्वार इतने हिलोरे लेने लगता है कि उन्हें शब्दों का जामा पहनाना आवश्यक हो जाता है.
गुरुवार, 22 अगस्त 2013
स्वप्न
उम्मीद से ज्यादा , वक़्त से पहले मिल जाए तो क्या अच्छा हो
सोचे जो हो,चाहें जो उससे अच्छा हो जाए तो क्या अच्छा हो
तरसने तड़पने ललचने से पूर्व निपट जाए तो क्या अच्छा हो
मन्नत के पहले मांग स्वीकृत हो जाये तो क्या अच्छा हो। ....
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