ऊब
तुम रूठे रहते हो,मैं मनाती रहती हूँ.
मैं मनाती हूँ,तुम फिर रूठ जाते हो.
बार बार रूठने की आदत अब छोड़ दो.
रिश्तो को ख़ूबसूरत अंजाम पर मोड़ दो.
....कहीं ऐसी कभी कोई बात हो जायेगी
मुझे तुम्हारे रूठने की आदत हो जायेगी.
नाराजगी झेलने की ताकत आ जाएगी.
तुम रूठे रूठे इन्तेजार करते रह जाओगे,
रूठा -रूठी से ऊब मैं कहीं और बढ जाउंगी.
aye-haye badh jao n ub ke...maza aa jayega par unhe n fark padega...bahut achhi soch ke liye sadhubad
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद् संजय ji.
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