गुरुवार, 2 मई 2013

लक्षमिन

लक्षमिन 

सात-आठ महीने पहले मेरे पति की पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के अंदरूनी इलाके मे हो गयी है.खूब बड़े बड़े विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों के बीच मैं अपना मन लगाने की कोशिश करती रहती हूँ.धीरे घरो मे काम करने वाली बाईयों के जरिये यहाँ के लोगो रहन सहन इत्यादि से भी परिचय हो रहा है.महिलायें बहुत मेहनती और शारीरिक रूप से मजबूत दिखती हैं.मर्द वैसे ही सारे जहाँ  की तरह बेदर्द.....आलसी और शराबखोर.बहु-विवाह औरत-मर्द दोनों मे प्रचलित है.बहुत आराम से साथी बदलतीं हैं महिलायें.मेरे घर एक प्यारी सी तीखे नाक-नक्श वाली लड़की काम करने आती है,लक्षमिन.उसका एक पाँच साल का बेटा भी है,उसकी कमनीयता देख लगता नहीं है की वो इतने बड़े बच्चे की माँ होगी.कलाइयाँ चूड़ियों से और मांग सिंदूर से भरी हुई.खुशमिजाज और ईमानदार.धीरे धीरे मुझे पता चला वो छोड़ी हुई औरत है,मैंने इसका मतलब पूछा पता चला पति ने दूसरी कर ली है,सो बेटे को ले अलग रहती है.अपना कमाती है.मेरे घर एक बुड्डा सा माली कम करने आता था,लक्षमीन ने बताया की एक दिन वह उसका पीछा करते हुए उसके घर पहुँच गया था.....अपने कुछ भद्दे प्रस्ताव के साथ.मैं सिहर गयी,पर उसे ऐसे  लोगो से निपटना आता था.उसने बताया की दीदी इसी लिए मैं सिंदूर-चूड़ी धारण की रहती हूँ ताकि लोग मुझे  एकाकी औरत न समझे.कभी बोलती दीदी रात कितनी लंबी होती है....कभी अपने मोबाइल पर आए अंग्रेजी मे आए एसएमएस पदने बोलती,मैं पदती आई लव यू ,किसने भेजा लक्षमीन?वह शरमा जाती. जाहिर था उसका मन,शरीर और दिमाग भटक रहा था...।
पति बड़े घर और जमीन का मालिक था.उस पर उसके जमीन के नीचे कोयला होने के कारण मुआवजा  भी भरपूर मिला था.आए दिन लक्षमिन छुट्टी लेती रहती तब पता चला की उसने पति पर केस ठोक रखा था,दूसरी शादी करने पर.जज को उस से पूरी हमदर्दी  थीऔर बिना वकील अपना केस लड़ने की उसे इजाजत थी.
नयी नयी तारीख पड़ती रहती....उसका पति को अदालत का चक्कर बेवजह लगने लगा,उसपेर हरजाना  देने की दबाव बदने लगा तो उसके व्यवहार मे बदलाव आने लगे.लक्षमिन बता रही थी की एक लड़का है.....जो उसे बहुत प्यार करता है.दिन भर वह काम छोड़ छोड़ उस से बातें करती.शायद  घर पर भी आता था उसके.वह बताती की बहुत से और लोग उस से रिश्ते को को तैयार हैं.पर अधिकतर शादीशुदा है.वह बताती की यदि वह किसी और से शादी करेगी,या उसके घर मे बैठेगी , तो बेटा को उसके पिता के पास ही हमेशा के लिए चले जाना होगा..बेटे को साथ रखने की लालच मे वह दूसरी शादी को ले ऊहा- पोह वाली स्थिति से गुजर रही थी.उसका पति भी फिर से डोरे डालना शुरू कर दिया .बेचारी लक्षमिन अपने दिल से कई स्तरों पर लड़ रही थी।
  इसी बीच एक घटना घट गयी.उसकी सहेली गीता जो दो बच्चो की माँ थी,बेटी तो कुछ 11-12 साल की थी,किसी दूसरे के साथ गायब हो गयी.वह भी छोड़ी हुई थी पर लक्षमिन की तुलना मे ज्यादा छमक-छल्लो थी.हर दिन किसी बाइक के पीछे बैठी दिखती थी.साज-सज्जा भी भड़कीला .हाँ तो गायब हो गयी,नियम अनुसार उसके बच्चो का पिता अपने दोनों बच्चो को ले कर चला गया क्यूँ कि उस तक खबर पहुँच ही चुकी थी.3-4 महीने के बाद मरियल सी गीता लक्षमिन  के साथ  दरवाजे पर खड़ी थी.भवरा रस पी उड़ चुका था. लगाया काम छूट चुका था.बच्चे जिनहे छोड़ वह अपने सुख कि खातिर भागी थी देख कर मुह मोड लिया था.कमजोर आकर्षण- विहीन गीता कि बेबसी पर द्या आ गयी.लूटी-पिटी सी मुह लटकाई बेचारी.ज़िंदगी के सिरे को डुंडती।
  लक्षमिन ने उसे अपने घर मे सहारा दे रखा था.अब वह फिर से विचार करने लगी अपने जीवन के फैसले पर.नए नए छोकरो से अब बचने लगी,गीता का हश्र  देख चुकी थी.एक दिन बता  रही थी कि उसे अपना पति कभी पसंद नहीं था ,पर दीदी एक दिन उसने मुझे मंदिर का प्रसाद खिलाया उसके बाद वह मुझे भाने laga. जरूर कुछ जादू-मंत्र कर दिया था उस मे.मुझे बरसो पहले पदी हुई "जंगली बूटी" कहानी  याद आ गयी.भोली लक्षमिन ने केस वापस ले लिया ,हरजाने के तौर पर उसका पति कुछ रुरुपये दे दिये.उसका पति कानूनी तौर पर तलाक ले लेने के लिए दबाव बना रहा था.पर अब वो तलाक नहीं लेना चाहती थी.वही....पुराना  फंडा "भला है बुरा है जैसा भी है मेरा पति मेरा देवता है " बेचारी जो अपने बच्चे के चलते शादी नहीं करना चाहती थी अब उसे उसके पिता के पास भेजने लगी.बोलती,दीदी मैं तो गरीब हूँ ,अपने बच्चे को सब सुख नहीं दे पाऊँगी .अपने बाप के पास आता जाता रहेगा तो हिल मिल जाएगा.मै कभी दूसरा मर्द नहीं करूंगी.....नहीं तो गीता की तरह मेरा बेटा भी मुझसे दूर हो जाएगा............।
  माँ किसी प्रांत मे हो,शहर या जंगल में हो.......दिल वही रहता है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. har aurat yek jaisi hai,har maa yeksaman....purush use kabhi jitne dega nahi to thik hi to hai,apni niyati man,aasha ka sath le jine ka bahana to chun leti hai......

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  2. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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    1. धन्यवाद मदनमोहन जी आपकी टिप्पणी के लिए। मै आपके ब्लॉग पर पहले भी गयीं हूँ और फिर जाउंगी और आपकी रचनाओ का लुफ्त लुंगी।

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