गुरुवार, 31 मई 2012

पंखा लगे नगीना

टप- टप टपके पसीना 
गर्मी का महीना
पंखा लागे नगीना
गर्मी का महीना.
बिजली कभी रहे न
गर्मी का महीना.
झुलसा  घर और अंगना

गर्मी का महीना.
बादल कहीं दिखे न
गर्मी का महीना.
टप-टप टपके पसीना
पंखा लागे नगीना
गर्मी का महीना.

5 टिप्‍पणियां:

  1. "पंखा लागे नगीना",बचपन में सुनी हुई किसी गीत की ये पंक्ति आज बिना बिजली की इस दोपहरी में बहुत याद आ रही है.

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  2. हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.

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  3. .......बहुत खूब
    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .....!!

    जवाब देंहटाएं