सोमवार, 15 सितंबर 2014

शरतचन्द्र की सशक्त स्त्री पात्र

शरतचन्द्र की सशक्त स्त्री पात्र
शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय (१५ सितंबर, १८७६ - १६ जनवरी, १९३८ ) बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे।शरत्चंद्र ने अनेक उपन्यास लिखे जिनमें पंडित मोशाय, बैकुंठेर बिल, मेज दीदी, दर्पचूर्ण, श्रीकांत, अरक्षणीया, निष्कृति, मामलार फल, गृहदाह, शेष प्रश्न, दत्ता, देवदास, बाम्हन की लड़की, विप्रदास, देना पावना आदि प्रमुख हैं। बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन को लेकर "पथेर दावी" उपन्यास लिखा गया। कहा जाता है कि उनके पुरुष पात्रों से उनकी नायिकाएँ अधिक बलिष्ठ हैं। शरत्चंद्र की जनप्रियता उनकी कलात्मक रचना और नपे तुले शब्दों या जीवन से ओतप्रोत घटनावलियों के कारण नहीं है बल्कि उनके उपन्यासों में नारी जिस प्रकार परंपरागत बंधनों से छटपटाती दृष्टिगोचर होती है, जिस प्रकार पुरुष और स्त्री के संबंधों को एक नए आधार पर स्थापित करने के लिए पक्ष प्रस्तुत किया गया है, उसी से शरत् को जनप्रियता मिली। उनकी रचना हृदय को बहुत अधिक स्पर्श करती है।आमतौर पर हारा हुआ नायक और मजबूत स्त्री पात्र उनकी कहानियों का आधार हुआ करते थे। शरतचन्द्र की ‘देवदास’ पर तो 12 से अधिक भाषाओं में फिल्में बन चुकी हैं और सभी सफल रही हैं. उनकी ‘चरित्रहीन’ पर बना धारावाहिक भी दूरदर्शन पर सफल रहा. ‘चरित्रहीन’ को जब उन्होंने लिखा था तब उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था क्योंकि उसमें उस समय की मान्यताओं और परंपराओं को चुनौती दी गयी थी। हिंदी में  देवदास को आधार बनाकर देवदास फ़िल्म का निर्माण तीन बार हो चुका है।इसके अतिरिक्त  चरित्रहीन, परिणीता(दो बार ) और  में भी, बड़ी दीदी (१९६९) तथा मँझली बहन, आदि पर भी चलचित्रों के निर्माण हुए हैं। उनकी स्त्री पात्र पुरुष पात्र की तुलना में काफी सशक्त होती थीं ,वहीँ पुरुष पात्र भटका हुआ ,अस्थिर और उलझा हुआ सा।  विचारणीय है की ये कहानिया जिस दौर में लिखी गयीं थी उस वक़्त औरतों का समाज में स्थान नगण्य था।







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