मंगलवार, 28 मई 2013

यादों का हरश्रींगार झड़े


यादों का हरश्रींगार झड़े



यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़.....   
उम्र गुजरती जाये,मन पीछे गोता खाये।
आंखो के आगे बचपन लौट लौट सी आए।
नानी का घर सपन खिलौने अपने लगते
दादा दादी मामा मामी याद आ गए सारे रिश्ते
रिश्ते-नाते गर्मी छुट्टी आम बगीचा
कूद-फांद और धमा चौकड़ी सारे बच्चे

यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
गुड्डे गुड़िया खेल खिलौने पदना लिखना
संग सहेली गाने गाना  हँसना  रोना
चुगली-शुगली शोर मचाना  हल्ला गुल्ला
लड़ना झगड़ना रूठा रूठी हाथ मिलाना।

यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
चाचा जी की चिट्ठी आयी,डाक्टर बन कर नाम कमाओ
इस महान पेशा को अपनाना है
बस डाक्टर ही तुम को बनना है।
अब तो केवल बहुत पढ़ाई ,खूब पढ़ाई
 कुछ बनना है काम तो मुझको  करना है।

. यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
कंधे मेरे दुखते हैं,बोझ है तू उतर भी जा.. ।
माँ मुझको पढ़ने दो न,थोड़ा सा कुछ बनने दो न।
शादी करके पढ़ती रहना,काम तू अपनी करती रहना।
शादी करले मैं पढ़ाऊँगी,मेरा तुझसे पक्का वादा।
  
यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।
वादा टूटा वादा झूठा, मेरा खुद का सपना टूटा।
घर गृहस्थी नून तेल लकड़ी,पिसती रह गयी ,
वक़्त है गुजरा,समय है बदला,बुड्डी हो गयी
टूटे सपने जोड़ न पायी,आगे मै फिर पढ़ न पायी।
 यादों का हरश्रींगार झड़े झड़-झड़....।  .

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18 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत यादों की पोटली खोलती सुन्दर रचना

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  2. एक व्यथा जो मेरा पीछा ही नहीं छोड़ती ........

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  3. बचपन की यादों को भुलाए नहीं भूलती

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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  4. बहुत सुंदर..हम बीता वक्‍त कभी नहीं भूल पाते

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  5. यादें कब पीछा छोडती है.

    सुंदर कविता.

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    1. यादें यदि एक अपूर्णीय क्षति हो,तो कभी नहीं पीछा छोड़ती. धन्यवाद रचना जी,मेरे हर्श्रिंगार चुनने के लिए.

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  6. sapne kabhi apne hote kaha hain ....jodo to bhi nahi judte,khuli aankho se bharmate.....bhavpurn rachna.....

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    1. धन्यवाद जी,मेरे सूखे हरश्रिंगार के फूल चुनने के लिए

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. यादों को गुंथकर बनी बहुत सुन्दर रचना ..

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  9. बहुत सुंदर ..यादें और हरसिंगार

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    1. धन्यवाद संजय भास्कर जी....यादों के हर्श्रिंगर चुनने के लिए.

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