सोमवार, 22 जुलाई 2013

लिव इन

पिछले दिनों चेन्नई रेलवे स्टेशन पर,रात के वक़्त  २-३ घंटे अपनी ट्रेन के इन्तेजार में बैठना पड़ा.वहां प्लेटफार्म पर  बहुत सी कुर्सियां लगी हुई हैं,जहाँ बैठ मैं अपना समय इधर उधर देखने में व्यतीत कर रही थी.तभी पास ही नीचे जमीन पर एक बुड्डी औरत बड़ी सी प्लास्टिक कुछ चीथड़े से कपडे वैगरह ले कर आई,उन्हें जमीन पर बिछा कर सोने का उपक्रम करने लगी.उसकी उम्र ८० से कम न होगी,वक़्त की मार चेहरे पर साफ़ झलक रहा था,पर कुछ तेज सा भी विद्यमान था,जो बरबस ध्यान खीच ले रहा था.अपने साजो सामान बिछा वह लेट गयी वहीँ.तभी एक और बहुत बुड्डे  सा   व्यक्ति जो उसी की तरह फटे पुराने कपड़ों में था लाठी टेकता आया,उसकी बगल में अपनी जगह बनाई और बैठ गया.दोनों आपस कुछ बतिया रहें थे.बुड्डे ने अपने झोले से कोई मलहम निकला और उसे बुदिया के तलवों में मलने लगा,अब मेरा भी ध्यान गया उसकी पैरों की तरफ गया शायद   कोई ग़हरा जख्म   था.
           पास ही  के कुर्सियों पर कालेज के कुछ लड़के-लड़कियों का ग्रुप बैठा था.वे लोग भी उन दोनों को ही देख रहे थे,कुछ हँसते हुए बतिया भी रहे थे.तभी एक ने जोर से कहा अरे ये देखो  बुड्डे-बुड्डी लिव इन रिलेशन में हैं........हे हे .......खुले आम इश्क फरमा रहें हैं.  सब जोरो से हंस पड़े.
         अचानक जो हुआ उसकी कल्पना न थी,बुड्डी महिला ब मुश्किल उठी,लंगड़ाते हुए उनके पास खड़ी  हुई और धाराप्रवाह अंग्रेजी में बोलने   लगी.सार यही था की.....
         यदि हम आज बुड्डे हैं तो कल तुम लोग भी होगे.यहीं पास के ओल्ड ऐज होम में हम रहते हैं,जहाँ आज अत्यधिक बरसात से पानी भर गया है,सो रात गुजरने प्लेटफार्म पर आ गए.बेटा मुझे पिछले ४ साल से मिलने नहीं आया है,मैं नहीं जानती वह ठीक भी है या नहीं.ये मेरा कुछ भी नहीं लगता पर हम सब यहाँ एक दुसरे का सहारा बने हुए  हैं.उम्र के इस चौथे पन में सारे रिश्ते  अपनी औकात पर आ गएँ है.हम आज बुड्डे और लाचार हो गएँ हैं तो  इसका ये मतलब नहीं की हमारा मजाक बनाया जाये................
   फिर दोनों ने धीरे अपना साजो-सामान समेटा और वहां से हट प्लेटफार्म के दुसरे छोर पर जा कर बैठ गए.कुर्सियों पर बैठे हुए सभी लोग जो अभी तक नज़ारे का मज़ा ले रहे थे, इधर-उधर देख झेप मिटाने लगे.

4 टिप्‍पणियां:

  1. gajab ki bat hai,ajab laga sunna...kaise koi yesi baten kar sakta hai....aanewala waqt darata hai......

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    1. दुनिया रंग बिरंगी,घर से निकलो तो तरह तरह के अनुभव होते हैं .

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  2. पता नहीं कैसे बच्चे हैं जो अपने घर के माँ-पिता को घर से निकल कर old home में रख देते है ..और भूल जाते हैं कि कभी वो भी बूढ़े होंगे

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    1. इन्सान की परिपक्वता बेबसी और बेचारगी लाती है,

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