गुरुवार, 20 मार्च 2014

महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से
कभी ना चला ...!!"

-------------------------
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!!'
-------------------------
अगर खुदा नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यों ??
और अगर खुदा हे तो फिर फिक्र क्यों ???
------------------------
"दो बातें इंसान को अपनों से दूर कर देती हैं,
एक उसका 'अहम' और दूसरा उसका 'वहम'......
------------------------
" पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता और दुःख का
कोई खरीदार नहीं होता।"
------------------------
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें