मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

कौन आ रहा है सरिता अप्रैल में प्रकाशित २०१७

कौन आ रहा है

ये कौन आ रहा है आहिस्ता आहिस्ता ?
नाम काम  घर का अपना पता तो बता.
दिनों दिन तू मेरे तरफ आ रहा है .
तन बदन में मेरे तू  घुसता जा रहा है .
दिलो दिमाग मस्तिष्क पर तेरी है छाया
बता कौन है तू इधर क्यों है आया ?
मगर आ रहा है इधर आ रहा है ,
दबे पाँव आहट से दहला रहा है .

ये कौन आ रहा है आहिस्ता आहिस्ता ?
नजदीक आ आ कर क्यों है सताता ?
बीमारी बेचारगी क्या तेरी है माया ?
तेरे आते पड़ने लगी अकेलेपन की साया .
अब तक जहाँ था वहीँ क्यों न रहता ?
जिन्दगी का मज़ा तेरे बिन आ रहा था .
मगर आ रहा है इधर आ रहा है
दबे पांव आहट से दहला रहा है .

ये कौन आ रहा है आहिस्ता आहिस्ता ?
पास आने पर ही  तू है  स्पष्ट दिखता .
बुढ़ापा बड़ा है तू   विकृत अवस्था .
बदसूरती -कमजोरी को बताये तू रास्ता .
है हँसता हुआ जिन्दगी जा रहा था ,
जवानी के मधुरतम गीत गा रहा था .
क्यों आया बुढ़ापा भटकते भटकते ?
वापस चला जा तू अपने ही रस्ते .
मगर आ रहा इधर आ रहा है ,
दबे पाँव आहट से दहला रहा है .


ये कौन आ रहा आहिस्ता आहिस्ता ?
जवानी गया तो वापस न आता .
बुढ़ापा तो आ कर हमेशा को बसता .
अब तक था कच्चा, अब जीवन पकेगा ,
जीवन तरु का मीठा फल है बुढ़ापा .
रोरो कर इसको करना न निष्फल ,
बुढ़ापा को आना है, आकर रहेगा .
दिलदार व्यक्ति कभी न डरेगा .












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