शनिवार, 6 अक्तूबर 2012

बहुत बुरे दौर से गुजरते हुए.......जिन्दगी ऐसी ही दिखी

                                 जिन्दगी



  •               जिन्दगी तुम तो बहरूपिया हो गए हो नित नए रूप दिखा रहे हो.

  •               जिन्दगी तुम कसाई हो गए हो रोज मेरे सपनो को जिबह करते हो.

  •               जिन्दगी तुम बहुत वजनी हो गये हो मुझसे  उठते ही नहीं हो.

  •               जिन्दगी तुम बेईमान हो सिर्फ मेरे मर्म पर चोट करते हो.

  •               जिन्दगी तुम बस पत्थर हो दिल को शीशा ही समझते हो.

  •               जिन्दगी तुम जूता हो सिर्फ मुझे मसलना ही तुम्हें पसंद है.
  •  
  •              जिन्दगी तुमने बहुत कांटें बिछा दिए,छलनी पावं अब रखें कहाँ.

  •              जिन्दगी कभी अच्छे रूप में कम से कम सपनो में तो आओ.

  •               जिन्दगी बहुत रूला दिया कभी हसाँ के भी दिखाओ.

  •               जिन्दगी तुमने बहुत बिगाड़ दिया कभी संवार के दिखाओ.

1 टिप्पणी:

  1. jindgi sirf jindgi hai jo waisi hi rahti hai jaisi hum gujarte hain...apne raste chalnewali.mudkar n dekhnewali......kya vichlit hogi kisi ke bayan se........behud bhavpurn rachna...

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