अगली भोर हम कुछ महिलाएं अपने हथियारों के साथ चुपके से निकल पड़े उस ओर जिधर से जिंदगी की करतल ध्वनित हो रही थी। ओह ! आज करमा है,हम आदिवासियों का बड़ा त्यौहार। लडकियां लाल पाड़ की सफ़ेद साड़ी पहन ,माथे में करम डार की टहनी खोंसे झूमर पाड़ रहीं थी। हड़िया की खुशबु से पूरा वातावरण तर था। पांव ठिठक गएँ और मन पुराने दिनों में अटक। अचानक मोहभंग हो गया कि हम किस राह पर चल दिए हैं ,सच कहती हूँ बाबू मरे भाई की सौं मैं सीधी आपके पास थाने चली आई हूँ। हथियारों सहित आत्मसमर्पण करने।
नारी सशक्तिकरण
उस आदिवासी बहुल इलाके में अपने प्रवास के दौरान हर काम में महिलाओं की अधिक भागीदारी ने मुझे वास्तविक नारी सशक्तिकरण पर एक आलेख तैयार करने पर मजबूर कर दिया। हर कार्यस्थल में महिलायें ही महिलाएं ,वाह! यहाँ पुरुष जरूर घरेलू कार्यों में बढ़-चढ़ हिस्सेदार होंगे। यही देखने शाम को मैं उनकी बस्ती में चला गया। वहाँ "नारी बेचारीकरण" का जबरदस्त दृश्य ने मुझे आलेख का शीर्षक बदलने पर मजबूर कर दिया।
उस आदिवासी बहुल इलाके में अपने प्रवास के दौरान हर काम में महिलाओं की अधिक भागीदारी ने मुझे वास्तविक नारी सशक्तिकरण पर एक आलेख तैयार करने पर मजबूर कर दिया। हर कार्यस्थल में महिलायें ही महिलाएं ,वाह! यहाँ पुरुष जरूर घरेलू कार्यों में बढ़-चढ़ हिस्सेदार होंगे। यही देखने शाम को मैं उनकी बस्ती में चला गया। वहाँ "नारी बेचारीकरण" का जबरदस्त दृश्य ने मुझे आलेख का शीर्षक बदलने पर मजबूर कर दिया।
bahut badhiya ji
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