हमारे आस-पास इतना कुछ घटित होता है,कुछ बातें रोजमर्रा की होती हैं जिनपर कोई ध्यान नही जाता है.पर कभी कभी कुछ ऐसा होता है, जो मन को झकझोर देतीं हैं .दिल मजबूर कर देता है कलम उठाने को.कभी दिल में भावनाओं का ज्वार इतने हिलोरे लेने लगता है कि उन्हें शब्दों का जामा पहनाना आवश्यक हो जाता है.
मंगलवार, 22 जुलाई 2014
मनमौजी दरजी
ईश्वर बड़ा ही
है। हम कितना भी उसे डिज़ाइन और कट समझातें हैं,वह सिलता अपनी मन का ही है। हम चाहें ना चाहें पहनना उसे ही पड़ता है। शुरू में भले वह फिट ना लगता हो पर धीरे धीरे हम उसी लिबास के आदी हो जातें हैं और वो हम पर फबने भी लगता है।
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